गैरोंकी चाहत मे मुहाजिर बन बैठे
आपनोंकी आखों मे अंगार बन बैठे ....
मजहब के नाम पे राह चले तो थे
आपनेही घर मे महेमान बन बैठे ....
इलहा की मर्जी पाने फितुर कर गए
तेरेही दरबार मे गुन्हेगार बन बैठे ....
अल-शुकर बनने की चाहत रखते थे
खुद ही खुदमै काफिर बन बैठे ....
ये गुमन आलम से 'अझाद' कर दे
हिन्दोस्तां मे देशद्रोही ना बन बैठे ....
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मुहाजिर (भरतीय मुसल्मानोंको पाकिस्तान मे ये नाम से ठुकराया जाता है), इलहा (परमेश्वर,अल्ला), फितुर (दोष, गलती), अल-शुकर (जो काफिर नहि है), काफिर (नास्तीक), गुमन (भ्रम), आलम (विश्व). . .
विशाल, लेका.. मस्त लिहलय्स.
उत्तर द्याहटवाधन्स सौरभ !
हटवाकसला अप्रतिम धुतलाय... आवडेश एकदम!
उत्तर द्याहटवाधन्यवाद् !
उत्तर द्याहटवा